NavIC क्या है? ये GPS से कितना बेहतर है?

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NavIC Hindi

आज मैं आप सबको बताने जा रहा हूं, भारत के खुद के नेवीगेशन सिस्टम के बारे में जो कि इसरो(ISRO) द्वारा बनाया गया है और जिसका नाम है, NavIC (नाविक) (NAVigation with Indian Constellation), जिसे कुछ लोग IRNSS(Indian Regional Navigation Satellite System) के नाम से भी जानते हैं।

इस आर्टिकल में मैं आपको इस अंतरिक्ष यान के बारे में सब कुछ डिटेल में बताने वाला हूं, कि आखिर NavIC, काम कैसे करता है? कहां काम करता है? और कौन-कौन और कैसे इसका इस्तेमाल कर सकता है।

NavIC क्या है?

बहुत ही सरल तरीके से आपको समझाऊंगा, NavIC भारत द्वारा बनाया गया अपना खुद का नेवीगेशन सिस्टम है। यहाँ नेवीगेशन का सबसे अच्छा उदाहरण आप GPS को मान सकते है जो की अमेरिका का बनाया गया तकनीक है। अभी तक आप गूगल मैप पर रास्ता ढूंडने जैसे कार्य के लिए GPS कि मदद ले रहे है लेकिन अब आप ये सभी कार्य के लिए स्वदेशी NavIC का इस्तेमाल करेंगे।

NavIC को अंतरिक्ष में भेजने के बाद भारत दुनिया का चौथा ऐसा देश बन चुका है जिसके पास खुद का नेविगेशन सिस्टम है, क्रमशः यूएसए, रसिया, चाइना और उसके बाद इंडिया । इस सॅटॅलाइट का नाम भारत देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा समुद्री सोदागरों के नाम को सम्मानित करने के लिए रखा गया है क्युकी इन्ही लोग हमे प्राचीन काल से दिशा दिखाते हुए आ रहे है।

इसको बनाने की पूरी लागत केवल 1420 करोड़ रूपया आई है, जोकि, ₹12 प्रत्येक भारतीय नागरिक के समान है जोकि एक सॅटॅलाइट को बनाने दृष्टि कोण से काफी कम है।

यह नेवीगेशन सिस्टम भारत तथा उसके अगल-बगल के 1500 किलोमीटर तक की दूरी की सटीक जानकारी दे सकता है। अभी तक इस नेवीगेशन सिस्टम की कुल 7 सैटेलाइट सफल रूप से अंतरिक्ष में भेजी जा चुकी है और इसरो का यह बयान है कि इस 7 की गिनती को 11 तक पहुंचाना है, जिससे कि इस नेवीगेशन सिस्टम की ताकत और तेज़ी और भी कई गुना बढ़ जाएगी। ISRO की यह खासियत है की इनके कर्मचारी काफी परिपक्व तथा उच्च दृष्टि कोण के साथ साथ बड़े ही मेहनती हैं जिससे की भारत को उच्च श्रेणी की तकनीक मिलती रहती हैं।

स्वदेशी Navigation System को बनाने की जरूरत क्यों हुई?

दरअसल, यह 1999 कारगिल युद्ध के समय की बात है, जब भारत ने अमेरिकी सरकार से पाकिस्तानी दुश्मनों की स्थिति जानने के लिए मदद मांगी तो अमेरिकी सरकार ने उन्हें मना कर दिया, तभी भारत के इसरो ने यह ठान लिया कि भारत को खुद का नेवीगेशन सिस्टम बनाना होगा, और अब आप इसका परिणाम देख भी सकते हैं।

आम आदमी के लिए उपयोगिता

आम आदमी इस नेवीगेशन सिस्टम का इस्तेमाल अपने मोबाइल फोन में कर सकता है, बस उसे इस नेवीगेशन सिस्टम को सिग्नल भेजने तथा लेने के लिए एक हार्डवेयर की जरूरत पड़ेगी जोकि कई प्रोसेसर्स में पुनर्स्थापित है, संदर्भ के लिए-

  • Qualcomm Snapdragon 460
  • Qualcomm Snapdragon 662
  • Qualcomm Snapdragon 720G
  • Qualcomm Snapdragon 765
  • Qualcomm Snapdragon 765G
  • Qualcomm Snapdragon 865

ऐसी पहली स्मार्टफोन जिसमें NavIC सपोर्ट करेगी उसका नाम है, Realme 6 pro, तथा Redmi 8 स्मार्टफोन की मदद से इसे सर्वप्रथम ISRO द्वारा टेस्ट किया गया था।

तो चलिए अब जान लेते हैं NavIC, सरकार को किस तरीके से मदद करने वाली है: –

  1. सैन्य अभियान में इसकी उपयोग : हमारे सैनिकों को दुश्मनों के उद्गम स्थल की सटीक जानकारी देने में बहुत ही सक्षम है, क्योंकि नेवीगेशन सिस्टम पृथ्वी के सतह के 10 मीटर की ऊंचाई तक की बड़े ही आसानी से अवगणना कर सकती है, तथा इस सॅटॅलाइट की मदद से विस्फोटक के फटने के लिए भी सही जगह की अनुमान लगाई जा सकती है
  2. मछुआरों को मिलेगी मदद : इस नेवीगेशन सिस्टम की मदद से सरकार मछुआरों की काफी मदद कर सकता है उन्हें मछली की अधिकता वाली क्षेत्र की सटीक जानकारी दे करके, क्योंकि इस नेवीगेशन सिस्टम से समुद्र के 20 मीटर की ऊंचाई तक की अवगणना आसानी से की जा सकती है।

GPS तथा GLONASS से NavIC की तुलना :

यह नेवीगेशन सिस्टम, GPS तथा GLONASS के साथ साथ भी स्मार्टफोन्स में आसानी से प्रयोग में लाई जा सकती है, और इस नेवीगेशन सिस्टम कि यह भी खासियत है कि यह GPS और GLONASS से भी ज्यादा सटीक और तेज डाटा उपलब्ध कराएगी, क्योंकि इस नेवीगेशन सिस्टम में ड्यूल बैंड(L5 and S band) का प्रयोग किया गया है, जबकि जीपीएस मैं केवल अब तक सिंगल बैंड का ही प्रयोग किया जाता रहा है तो सटीकता और तेज़ी की पूर्ण रूप से गारंटी है ऐसा इसरो का मानना है कवरेज आधार पे बात किया जाए तो GPS नाविक से ज्यादा बेहतर साबित होता है क्युकी GPS की मदद से पूरे दुनिया की जानकारी निकल मिल सकती है जबकि नाविक केवल भारत, चाइना, बांग्लादेश, श्रीलंका, पाकिस्तान तथा आसपास के अन्य देशों की जानकारी देने में ही सक्षम है। GPS कि अब तक कुल 32 सैटेलाइट जियोस्टेशनरी औरबिट्स में है जबकि NavIC कि अब तक केवल 7 सैटेलाइट जियोस्टेशनरी औरबिट्स में है।

इस नेवीगेशन सिस्टम की अब तक 7 सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजी जा चुकी हैं, इस सॅटॅलाइट के कुल 9 सैटेलाइट लांच हुए थे IRNSS 1A से लेकर के IRNSS 1I तक जिसमे की IRNSS 1A का क्लॉक लॉच फेल हो गया जिसे IRNSS 1H की मदद से पुनर स्थापित किया गया, भेजने की तारीख है क्रमस: –

  • पहला सॅटॅलाइट – जुलाई 2013
  • दूसरा सॅटॅलाइट – अप्रैल 2014
  • तीसरा सॅटॅलाइट- अक्टूबर 2014
  • चौथा सॅटॅलाइट- मार्च 2015
  • पांचवा सॅटॅलाइट- जनवरी 2016
  • छटा सॅटॅलाइट- मार्च 2016
  • सातवा सॅटॅलाइट- अप्रैल 2016

यह नेवीगेशन सिस्टम पूरी तरीके से ISRO द्वारा निर्मित है, बिना किसी अन्य देशों की मदद के और बेहद ही कम खर्चे में, इस नेवीगेशन सिस्टम से भारत सरकार को अपने देश तथा अपने आस पास के नज़दीकी देशों में होने वाली किसी भी हलचल की जानकारी बड़े ही आसानी से मिल सकती हैं जो कि बड़े ही गर्व की बात है और इस सेटलाइट की वजह से भारत देश का गौरव तथा अभिमान बढ़ गया है दूसरे देशों की तुलना में और तो और इसकी मदद से देश की सुरक्षा व्यवस्था और भी मजबूत हो गई है।

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